अभिप्राय मिडिया फाउंडेशन की स्थापना का इतिहास
अभिप्राय मीडिया फ़ाउंडेशन की स्थापना का इतिहास
अभिप्राय एक प्रयास खोज कर प्रतिभावान को सम्मानित कर गर्व महसूस करता हैं फ़ाउंडेशन। फ़ाउंडेशन की शुरुआत दैनिक अखबार सिटी चीफ के पृष्ठ क्रमांक अभिप्राय पर अपने विचारों कों व्यक्त करने के लिये अख़बार मे प्रिंट किया जाता रहा तभी विचारों के आदान प्रदान से लेखन पर सम्मान देने की दृष्टि से शुरू हुई तत्पश्चात सम्मानित कार्यक्रमों के संचालन की शुरुआत की गई सन 2016 मे दिल्ली गुड़गाँव से शुरू हुईं थी जो सोच को लेकर शुरुआत की थी उसे हासिल भी करना था अभिप्राय तो लक्ष्य था अपने इरादों को पक्का कर आगे बढ़ाने का अपनी बात समझाने का आज़ादी के साथ रखने का लोगो तक व्यक्त करने का जिनके किये प्रयास से उन सभी को सफलता मिली हो जिंदगी मे तमाम लक्ष्यों की पूर्ति हुईं हो वां जिन्होंने देश समाज की सेवा से लोगो का दिल जीता हो ऐसे विभूतियों को याद कर उनके द्वारा किये गये कार्यों की सराहना कर उन्हें सम्मान दे वां गर्व करे तो चलिए हम वहाँ के इतिहास को समझते हैं जहाँ इसकी न्यू रक्खी गईं हैं। आइये दिल्ली के इतिहास को समझते हैं। दिल्ली को भारतीय महाकाव्य महाभारत में प्राचीन इन्द्रप्रस्थ, की राजधानी के रूप में जाना जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ तक दिल्ली में इंद्रप्रस्थ नामक गाँव हुआ करता था। जिसे महाभारत के समय से जोड़ा जाता है, लेकिन उस समय के जनसंख्या के कोई प्रमाण अभी नहीं मिले हैं। कुछ इतिहासकार इन्द्रप्रस्थ को पुराने दुर्ग के आस-पास मानते हैं।ऐसा माना जाता है कि आज का आधुनिक दिल्ली बनने से पहले दिल्ली सात बार उजड़ी और बसी है जिनके कुछ अवशेष अब भी देखे जा सकते हैं।सत्रहवीं सदी के मध्य में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ (1628-1658) ने सातवीं बार दिल्ली बसायी जिसे शाहजहानाबाद के नाम से भी पुकारा जाता है। आजकल इसके कुछ भाग पुरानी दिल्ली के रूप में सुरक्षित हैं। इस नगर में इतिहास के धरोहर अब भी सुरक्षित बचे हुये हैं जिनमें लाल क़िला सबसे प्रसिद्ध है। अंग्रेजों ने जब बहादुरशाह ज़फ़र को रंगून भेज दिया उसके बाद भारत पूरी तरह से अंग्रेजो के आधीन हुआ। प्रारंभ में उन्होंने कलकत्ते (आजकल कोलकाता) से शासन संभाला परंतु 1911 में औपनिवेशिक राजधानी को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। बड़े स्तर पर महानगर के पुर्ननिर्माण की प्रक्रिया में पुराने नगर के कुछ भागो को ढहा दिया गया है।1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद दिल्ली ने विकास के अनेक चरणों को प्राप्त किया। दिल्ली एनसीआर देश की राजधानी के साथ ही महानगर भी हैं। दिल्ली, नोयडा औऱ गुड़गांव के क्षेत्रफल औऱ प्रस्ठभूमि कुछ इस तरह कि कह लीजिये की दिल्ली आर्थिक व्यपारिक दृस्टि से महत्वपूर्ण हैं। चुकि भारत की राजधानी हैं इसलिए देश कि हर बड़े निर्णय लेने का कार्य विभागो के कार्यालय मे होता हैं औऱ मन्त्रालये इन्हे स्वरूप देने का कार्य करते हैं वा संसद भवन जहाँ प्रत्येक राज्यो से सभी सांसद चुन कर पहुँचते हैं वही राज्य सभा मे भी राज्यों से चुन कर राज्य सभा मेम्बर पहुँचते हैं जहाँ क़ानून कों ले कर योजनाऐ बनाने का वा उनके बिल पास कर देश के सांविधान के अनुरूप खाका तैयार किये जाता हैं इन्ही कारणों से देश का चौथा स्तम्भ प्रेस मीडिया हाउस भी दिल्ली नोयडा गुड़गांव मे स्थित हैं जहाँ देश कि हर गतविधियों पर नज़र रहती हैं वहीं खबरों के लिये चाहे वो बड़ी से बड़ी खबर या छोटी से छोटी खबर ही क्यू ना सब पर नजर रहती हैं इस तरह दिल्ली ने बड़े बड़े पत्रकारों को भी जन्म दिया चाहे वे वही के रहेने वाले हो या फिर बाहर से आकर वहां बसे हो पत्रकारों की कलम ने कमाल कर दिखाया हैं पत्रकार देश से ले कर समाज तक का आईना होता हैं निश्चित ही बदलाव ला सकता हैं देश की हर घटना को वा उससे संबधित महत्वपूर्ण खबरो पर सटीक प्रतिक्रिया देना भी बहुत आवश्यक हैं। ऐसी भी खबरो का क्या असर होता हैं जिसके माध्यम से देश की सत्ता मे बैठी उन सभी राजनीतिक पार्टीया कों भी बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा हो ऐसी लेखनी की क़्या बात हैं।और यह भी सच हैं कि देश के संविधान ने प्रत्येक नागरिक को अपनी बात को कहने की आजादी दी हैं। अभिप्राय मीडिया फ़ाउंडेशन भी अपने आजाद विचारों को रखने का माध्यम हैं। मिडिया का केवल सच खबरों को दिखाना ही नहीं या लिखना ही नहीं बल्कि सच के साथ खड़े रहे कर आम को खास बनाने की जरुरत हैं। दबे पिछडे शोषितो की आवाज बनने उन्हें आगे लाने का प्रयास हैं। इसलिए ऐसे "उन सभी को पहले पहचाने'' वा उनके द्वारा किये गया कार्यों की सराहना तो होना ही चाहिए साथ ही उनका सम्मान कर गर्व करे। इसी तरह अभी तक अभिप्राय को ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से बहुत सरहना भी मिली हैं। अभिप्राय ने इतिहासिक कार्य किया देश भर के वे सभी विभूतियाँ जिनमे प्रतिभा सागर से भी अधिक जल से गैहरी भरी हो जिनकी प्रतिभा को सम्मान मिलना ही चाहिए इसलिए ये सोच कर फाउण्डर श्री अभिज्ञान आशीष मिश्रा द्वारा प्रयासरत अधिक वर्षकालिक पत्रकारिता लेखन अनुसन्धान वा अन्य विषयो का अनुभव के आधार पर उन विभूतियों को सामर्पित जिनके प्रतिभा से अनेको क्षेत्रो शहरो राज्यों औऱ भारत देश के नाम को ऊँचाई मिली हो वा दुनिया मे भी देश के नाम को श्रेष्ठता दिलाने का काम कर रहे हैं। ऐसे प्रतिभाशाली औऱ प्रतिभावानो को खोज कर उन्हे सम्मानित कर स्थापित कर रहा हे। इस पुण्य पावन यज्ञ मे आहुति देने के लिये अति प्रतिभासाली अपने कार्यों के द्वारा सम्मानित फाउंडर कोफाउंडरो समूहों को शामिल किया गया जो की सेवानिवृत सरकारी महकामों मे रहे औऱ उच्चपदों पर आसीन थे जैसे IAS, IPS, judges, Sports, Docters, Artist, Analyst, Scientist, Motivational, Press, Writer, Political, Spiritual, Socialise आदि क्षेत्रो मे कार्यरत रहे वा इन सभी के द्वारा किये गए कार्य पूर्व मे लिये अनुभव के आधार पर विभूतियों द्वारा सम्मानित करने के लिए चुना जा सके जैसे की पहले भी बताया जा चुका हैं कि अभिप्राय मिडिया फ़ाउंडेशन विज्ञानं,कला, खेल, सोशल, स्वास्थ, पत्रकारिता वा अन्य विषयो मे प्रतिभाशाली औऱ प्रतिभावान व्यक्तियो को सम्मानित करने का काम कर रही हैं। अभिप्राय मीडिया फ़ाउंडेशन विगत पिछले आठ वर्षो से कार्यरत हैं धीरे धीरे निरन्तर प्रगति उत्तर होते आगे बढ़ रही हैं अभिप्राय अपनी सोच और विचारों का आदान प्रदान करने का माध्यम भी हैं देश मे अनादि काल मे भी विचारों का आदान प्रदान होता था वे कितने प्रभाव साली थे पर आज भी विचारों को अपनी यथार्थ शक्ति से कैसे रखना हैं। इसका भी अपना अंदाज़ हैं पर उसका कितना किस पर असर पड़ता उसे समझना होगा पर अभिप्राय विचारों की आजादी हैं अपनी खुद की सोच को प्रकट करने माध्यम हैं कभी जैसे किसी भी गुरु का क्या अपना विचार हो सकता हैं या किसी भी आम व्यक्तित्व का या वे सभी अलग अलग विश्लेषक हो सकता हैं. जैसे राजनैतिक, पत्रकार, सलाहकार, विशेषज्ञ, आध्यात्मिक, सकारात्मक विचार हो या नकारात्मक विचारों का आदान प्रदान अपनी खुद की मंशा दर्शनार्थ हैं.