श्री कृष्णा जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व हिंदी पंचांग के अनुसार श्रावण मास की अष्टमी तिथि को, आमतौर पर अगस्त के महीने में, मनाया जाता है। भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में हुआ था, और उनके जन्म की रात को बड़े उत्साह के साथ जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।
भगवान श्री कृष्ण हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं। वे विष्णु के आठवें अवतार के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। श्री कृष्ण को विशेष रूप से उनके जीवन की विभिन्न लीलाओं, जैसे कि मथुरा में उनका जन्म, गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना, और गीता का उपदेश देने के लिए जाना जाता है। श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है, जिनका उद्देश्य धरती पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करना था। श्री कृष्ण की रासलीला और उनकी गोकुल की लीलाएँ भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती हैं। उनकी राधा के साथ की प्रेम भरी कथाएँ प्रेम और भक्ति के प्रतीक हैं।
श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया, जिसमें जीवन के प्रमुख तत्वों, धर्म, कर्म और योग पर प्रकाश डाला गया है। श्री कृष्ण की लीलाएँ और चमत्कार, जैसे कि दुष्ट कंस का वध, गोवर्धन पर्वत को उठाना, और नागिन कालिया का दमन, उन्हें एक दिव्य और चमत्कारी व्यक्तित्व बनाते हैं।
श्री कृष्ण की उपस्थिति और शिक्षाएँ भारतीय संस्कृति और धार्मिकता में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
इस दिन, भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना करते हैं, और भगवान कृष्ण की लीलाओं को गाते और सुनते हैं। यह दिन भगवान कृष्ण की दिव्य उपस्थिति, उनके अद्भुत कार्यों, और उनके जीवन के आदर्शों की याद दिलाता है।
महाभारत में भगवान श्री कृष्ण का महत्व अत्यधिक है। वे न केवल एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, बल्कि कहानी के केंद्रीय बिंदु भी हैं। श्री कृष्ण का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में स्पष्ट होता है:
श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में पांडवों के प्रमुख मार्गदर्शक और संरक्षक के रूप में कार्य किया। उन्होंने अर्जुन को युद्ध के दौरान भगवद गीता का उपदेश दिया, जिसमें जीवन, धर्म, कर्म, और योग के सिद्धांतों पर गहराई से चर्चा की गई है।
श्री कृष्ण ने धर्म और नीति के महत्व को समझाया और पांडवों को उनके कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार कार्य करना चाहिए। श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध की रणनीति और कूटनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे पांडवों के सलाहकार और मित्र थे और युद्ध की योजना बनाने में उनकी भूमिका ने पांडवों की विजय में महत्वपूर्ण योगदान किया। श्री कृष्ण की भक्ति की शिक्षाएँ और उनके द्वारा दिखाया गया अनुकूलता भक्तों के लिए प्रेरणादायक हैं। उनकी शिक्षाएँ जीवन के हर क्षेत्र में समर्पण, प्रेम और भक्ति के महत्व को स्पष्ट करती हैं। श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध को समाप्त करने के लिए भी प्रयास किए और शांति की ओर ले जाने की कोशिश की, भले ही युद्ध अनिवार्य हो गया।
इन सभी पहलुओं ने श्री कृष्ण को महाभारत में एक अद्वितीय और प्रभावशाली चरित्र बना दिया।
अभिप्राय मिडिया फाउंडेशन श्री कृष्ण जन्मआष्ट्मी पर देश वासियो कों बहुत बहुत शुभकामनायें देता हैं मनमोहन यानि मन कों मोहने वाले प्राभु श्री कृष्ण के उपदेशो मे हर एक विषये कों बड़ी सूक्ष्म और शालीनता से समझाया हैं
Abhigyan Ashish Mishra
Founder & Chairman