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October 15, 2024, 1:40 am

गुरु नानक जयंती 2024 | AMF
Indian Culture & Heritage

गुरु नानक देव जी सिख धर्म के संस्थापक और प्रथम गुरु थे। उनका जन्म 1469 में कार्तिक मास की पूर्णिमा को हुआ था, जिसे गुरु नानक जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह तिथि हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार बदलती रहती है और आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर के बीच पड़ती है।
गुरु नानक जी का जीवन परिचय जन्म 15 अप्रैल 1469, ननकाना साहिब (अब पाकिस्तान में)
माता-पिता माता त्रिप्ता और पिता मेहता कालू
धर्म, सिख धर्म के संस्थापक भाषा पंजाबी, हिंदी, फारसी मृत्यु 22 सितंबर 1539, करतारपुर (अब पाकिस्तान में) गुरु नानक देव जी बचपन से ही आध्यात्मिक और जागरूक स्वभाव के थे। वे जात-पात, भेदभाव और अंधविश्वासों के खिलाफ थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान कई देशों और स्थानों की यात्राएं कीं, जिन्हें उदासियां" कहा जाता है। इन यात्राओं में उन्होंने मानवता के कल्याण और भाईचारे का संदेश दिया।
गुरु नानक जी के मुख्य उपदेश गुरु नानक जी ने सिख धर्म के तीन मुख्य स्तंभ स्थापित किए।
नाम जपो (ईश्वर का नाम जपना )हर समय ईश्वर का स्मरण करें। किरत करो (ईमानदारी से कमाई करना)अपनी जीविका ईमानदारी और मेहनत से कमाएं। वंड छको (साझा करना) जरूरतमंदों के साथ भोजन और संसाधनों को साझा करें।
उनके अन्य महत्वपूर्ण उपदेश ईश्वर एक है।
सभी मनुष्य समान हैं। कोई जाति, धर्म, या लिंग के आधार पर छोटा या बड़ा नहीं है। अहंकार, लोभ, और झूठ से दूर रहें। सादा जीवन और उच्च विचार अपनाएं। गुरु नानक जी की शिक्षाएं (जीवन की कथा) ईश्वर का एकत्व गुरु नानक जी ने समझाया कि ईश्वर हर जगह मौजूद है। वे कहते थे, "एक ओंकार सतनाम, करता पुरख, निर्भउ, निर्वैर।"
सद्भावना और मानवता उन्होंने विभिन्न धर्मों के बीच प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा दिया।
भेदभाव का विरोध उन्होंने ऊंच-नीच और जात-पात के भेदभाव का कड़ा विरोध किया।
भक्ति मार्ग उन्होंने कर्मकांडों को त्यागने और भक्ति मार्ग को अपनाने पर जोर दिया।
जीवन की प्रमुख घटनाएं चमत्कारी बचपन से ही उन्होंने कई चमत्कारिक घटनाओं से लोगों का ध्यान खींचा, जैसे सांप का उनकी रक्षा के लिए छत्र बनाना।
पवित्र संदेश एक बार नदी में स्नान करते समय वे तीन दिनों तक गायब रहे। जब लौटे, तो उन्होंने कहा कि उन्हें ईश्वर से ज्ञान प्राप्त हुआ है।
उदासियां (यात्राएं)उन्होंने भारत, तिब्बत, अरब और फारस जैसे कई स्थानों का भ्रमण किया और लोगों को उपदेश दिया। लंगर की परंपरा गुरु नानक जी ने समानता और सेवा का प्रतीक लंगर प्रथा शुरू की। गुरु नानक जयंती का उत्सव गुरु नानक जयंती सिख धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। इस दिन गुरुद्वारों में अखंड पाठ गुरुग्रंथ साहिब का 48 घंटे का पाठ नगर कीर्तन सिख समुदाय सड़कों पर जुलूस निकालते हैं। लंगर सभी के लिए नि:शुल्क भोजन की व्यवस्था। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को सही दिशा देने में मार्गदर्शन करती हैं।अभिप्राय मिडिया फाउंडेशन गुरू नानक देव जी के जयंती पर देश वासियों कों लख लख बधाई देता है और उनके दिये उपदेशो और प्रवचनों कों सदा याद रख कर निरन्तर गुरू के बताये पथ पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

Abhigyan Ashish Mishra

Abhigyan Ashish Mishra

Founder & Chairman