शरद नवरात्र का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह नौ दिनों का पर्व देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित होता है, जिसमें उनके नौ रूपों की आराधना की जाती है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, और इसे आत्म-शुद्धि, भक्ति और सकारात्मकता को बढ़ाने का समय माना जाता है। माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। माँ शैलपुत्री– पर्वतराज हिमालय की पुत्री, माँ दुर्गा का प्रथम रूप। माँ ब्रह्मचारिणी– तपस्या का प्रतीक, इस रूप में माँ ब्रह्म ज्ञान का दान करती हैं। माँ चंद्रघंटा–सौम्यता और वीरता का संगम, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित होता है। माँ कूष्मांडा–अपनी हंसी से ब्रह्मांड की रचना करने वाली देवी। माँ स्कंदमाता–भगवान कार्तिकेय की माता, जिन्होंने भगवान शिव और पार्वती के पुत्र को जन्म दिया था। माँ कात्यायनी–महर्षि कात्यायन के तप से प्रकट हुई देवी, जो शत्रुओं का नाश करती हैं। माँ कालरात्रि–अज्ञानता और बुराई को नष्ट करने वाली उग्र रूप की देवी। माँ महागौरी–शुद्धता और शांति का प्रतीक, जो भक्तों के पापों को हरती हैं। माँ सिद्धिदात्री–सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी, जिनकी पूजा से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। नवरात्रि के दौरान भक्त व्रत रखते हैं, जागरण करते हैं और माँ दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। यह पर्व बुराई से लड़ने और आत्मिक उन्नति के लिए शक्ति प्राप्त करने का समय माना जाता है। अभिप्राय मिडिया फाउंडेशन ने माँ के नौ रूपों कों कों प्रणाम करते हुए आराधना और भक्ति की स्वरूपा माँ के नौ रूपों कों विस्तृत किया हैं इन दिनों माँ की पूजा पाठ कों महत्व कों बताया हैं चेयरमैन फाउंडर अभिज्ञान आशीष मिश्रा के शरद नवरात्र के महत्व का वर्णन कों समझते हुए शुद्ध तप मन से माँ की सेवा कार्य करते रहना चाहिये। माँ के चरणों प्रणाम करते हैं।
Abhigyan Ashish Mishra
Founder & Chairman