भगत सिंह की जयंती हर वर्ष 28 सितंबर को मनाई जाती है। उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गांव (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे। उन्होंने अपने जीवन को देश की आजादी के लिए समर्पित किया और अपने बलिदान से लाखों भारतीयों को प्रेरित किया। भगत सिंह का जीवन परिचय भगत सिंह का जन्म एक सिख परिवार में हुआ था, जो स्वतंत्रता संग्राम में पहले से ही सक्रिय था। उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह भी आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे। बचपन से ही भगत सिंह पर स्वतंत्रता संग्राम का गहरा प्रभाव पड़ा। उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड और असहयोग आंदोलन के दौरान भारतीयों पर ब्रिटिश दमन को देखा और उसके खिलाफ एक क्रांतिकारी सोच विकसित की। उन्होंने किशोरावस्था में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया, लेकिन 1922 में चौरी-चौरा की घटना के बाद जब गांधीजी ने आंदोलन वापस ले लिया, तो भगत सिंह का कांग्रेस के अहिंसावादी रास्ते से मोहभंग हो गया। इसके बाद उन्होंने क्रांतिकारी संगठनों से जुड़ने का फैसला किया। क्रांतिकारी जीवन और विचारधारा भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के प्रमुख सदस्यों में से एक थे। वे मार्क्सवादी और समाजवादी विचारधारा के समर्थक थे और उनका मानना था कि सशस्त्र क्रांति ही ब्रिटिश साम्राज्य से आजादी पाने का एकमात्र तरीका है। 1928 में लाला लाजपत राय की मौत के बाद, भगत सिंह ने लाहौर में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की हत्या की योजना बनाई, क्योंकि उन्होंने राय की मौत के लिए ब्रिटिश शासन को जिम्मेदार ठहराया था। सेंट्रल असेंबली बम कांड (1929)भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली के सेंट्रल असेंबली हॉल में बम फेंका था। यह बम केवल प्रतीकात्मक रूप से फेंका गया था, ताकि किसी को नुकसान न हो, लेकिन ब्रिटिश सरकार को एक कड़ा संदेश दिया जा सके। बम फेंकने के बाद भगत सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया और "इंकलाब जिंदाबाद" के नारे लगाए। फांसी और शहादत लाहौर षड्यंत्र केस में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को मौत की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को इन तीनों को फांसी दी गई, जिसे आज "शहीद दिवस" के रूप में याद किया जाता है। भगत सिंह की विरासत भगत सिंह का नाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर है। उन्होंने अपनी लेखनी और कार्यों के माध्यम से भारतीय युवाओं को क्रांति और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरित किया। उनकी सोच आज भी युवाओं को एक बेहतर और समतामूलक समाज के निर्माण के लिए प्रेरित करती है। भगतसिंह भारतीय युवाओ मे देश कों स्वतंत्रता लाने और उनमे क्रांति जगाने की अलख थे साहस वा वीरता उनमे कूट कूट कर भरी थी अभिप्राय मिडिया फाउंडेशन भगतसिंह वीर सपूत की जयंती पर उन्हें याद कर प्रणाम करता हैं।
Abhigyan Ashish Mishra
Founder & Chairman