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July 27, 2025, 3:42 am

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 2025
Indian Culture & Heritage

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक धार्मिक परंपरा है, जो हर वर्ष ओडिशा के पुरी शहर में निकाली जाती है। इसका गहरा आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व है। आइए सरल भाषा में समझते हैं कि रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है: ? रथ यात्रा क्यों निकाली जाती है? भगवान के घर से बाहर आने की परंपरा: भगवान जगन्नाथ (जो श्रीकृष्ण का ही रूप हैं), उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा वर्ष में केवल एक बार मंदिर से बाहर आते हैं और आम भक्तों को दर्शन देते हैं। यह दिन रथ यात्रा का होता है। इसे "गुंडिचा यात्रा" भी कहा जाता है। गुंडिचा मंदिर की यात्रा: यह यात्रा श्रीमंदिर (मुख्य मंदिर) से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है, जो भगवान की मौसी का घर माना जाता है। वहाँ भगवान एक सप्ताह तक विश्राम करते हैं। श्रीकृष्ण के मथुरा से द्वारका जाने का प्रतीक: कई लोग इसे श्रीकृष्ण के मथुरा से द्वारका की यात्रा का प्रतीक भी मानते हैं। भक्ति और समानता का संदेश: रथ यात्रा में किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का व्यक्ति रथ खींच सकता है। यह समानता और जन-कल्याण का प्रतीक है। भगवान स्वयं भक्तों के पास आते हैं।? रथ यात्रा की खास बातें तीन रथ बनते हैं भगवान जगन्नाथ का रथ नन्दीघोष, बलभद्र का रथ तालध्वज,सुभद्रा का रथ दर्पदलन रथों को हजारों भक्त मिलकर खींचते हैं। मान्यता है कि रथ खींचने से पुण्य मिलता है और पाप नष्ट होते हैं। यात्रा के 9वें दिन, भगवान लौटते हैं जिसे "बहुड़ा यात्रा" कहते हैं। ?️ रथ यात्रा का आध्यात्मिक संदेश यह यात्रा दर्शाती है कि ईश्वर हर भक्त तक पहुँचते हैं, चाहे वह मंदिर तक न पहुँच सके। साथ ही, यह यात्रा आत्मा के जीवन-यात्रा, मोह-माया और मोक्ष की ओर बढ़ने का प्रतीक भी मानी जाती है। अभिप्राय मिडिया फाउंडेशन, शीर्ष सी.सी. ऐन वेलफेयर फाउंडेशन के चेयरमैन फाउंडर अभिज्ञान आशीष मिश्रा द्वारा भगवान जग्गन्नाथ की यात्रा पर विश्व के सभी देश वासियो का भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और अटूट आस्था रखने वाले भक्तो कों शुभकामनायें पूर्व कथा के अनुसार भगवान जगन्नाथ की यात्रा आध्यत्मिक प्रसंग का स्वरुप हैं।

Abhigyan Ashish Mishra

Abhigyan Ashish Mishra

Founder & Chairman