महर्षि वाल्मीकि प्राचीन भारत के एक महान ऋषि, संस्कृत के प्रसिद्ध कवि, और "रामायण" महाकाव्य के रचयिता थे। उन्हें "आदिकवि" के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने संस्कृत साहित्य में सबसे पहले महाकाव्य लिखा था। उनका योगदान भारतीय साहित्य, धर्म और संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनके कार्य और महत्व निम्नलिखित हैं। वाल्मीकि का जीवन, महर्षि वाल्मीकि का जन्म कहाँ हुआ और उनका प्रारंभिक जीवन कैसा था, इस बारे में मतभेद हैं। एक कथा के अनुसार, वाल्मीकि का प्रारंभिक जीवन एक डाकू के रूप में व्यतीत हुआ था, जिसका नाम रत्नाकर था। बाद में, महर्षि नारद मुनि के उपदेश से उनका हृदय परिवर्तन हुआ और वे तपस्वी बन गए। उन्होंने कठोर तपस्या की और ऋषि के रूप में ख्याति प्राप्त की। वाल्मीकि का कार्य,रामायण की रचना, वाल्मीकि ने "रामायण" की रचना की, जो कि एक महाकाव्य है और सात कांडों (अध्यायों) में विभाजित है। इसमें भगवान राम के जीवन, उनके आदर्शों, सीता के साथ उनके संबंध, और रावण के साथ उनके युद्ध का विस्तृत वर्णन किया गया है। रामायण केवल एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं, बल्कि मानवता, नैतिकता, और सामाजिक आदर्शों का मार्गदर्शन देने वाला महाकाव्य है। आदिकवि की उपाधि,वाल्मीकि को आदिकवि इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने प्रथम संस्कृत महाकाव्य की रचना की। संस्कृत साहित्य में काव्य रचना की जो विधि उन्होंने प्रस्तुत की, वह अन्य कवियों के लिए एक आदर्श बनी। वाल्मीकि का महत्व,साहित्यिक योगदान, वाल्मीकि का साहित्यिक योगदान अतुलनीय है। रामायण भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न अंग बन चुका है। यह संस्कृत साहित्य की प्रमुख धरोहरों में से एक है और भारतीय भाषाओं में अनुवादित होकर कई रूपों में प्रचलित है। धार्मिक और नैतिक मार्गदर्शन, रामायण न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि उसमें दिए गए आदर्श और नैतिकता का मार्गदर्शन आज भी प्रासंगिक है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो कि हर व्यक्ति के लिए आदर्श हैं। भारतीय संस्कृति में स्थान,वाल्मीकि ने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय संस्कृति में धार्मिक, नैतिक और सामाजिक मूल्यों की नींव रखी। उनके द्वारा स्थापित आदर्श आज भी समाज में प्रेरणा का स्रोत हैं। महर्षि वाल्मीकि का जीवन, उनके कार्य, और उनके द्वारा दी गई शिक्षा आज भी भारतीय समाज में प्रेरणा और मार्गदर्शन प्रदान करती है। अभिप्राय मिडिया फाउंडेशन चेयरमैन फाउंडर अभिज्ञान आशीष मिश्रा महर्षि बाल्मीकि संस्कृत के प्रसिद्ध कवि रामयण महा काब्य के रचयिता थे महाऋषि बाल्मीकि जयंती पर पूरे देश कों शुभकामनायें देता हूँ उनकी परम आस्था उनके कार्य और शिक्षा का बहुत अधिक असर डालता है हम सभी के जीवन मे।
Abhigyan Ashish Mishra
Founder & Chairman