प्राचीन काल में महिलाओं की स्थिति वेदिक काल में प्रारंभिक महिलाओं को शिक्षा, कला और दार्शनिक ज्ञान में भागीदारी का अवसर मिलता था। उस समय उनके पास कुछ हद तक स्वतंत्रता और सम्मान था। विवाह में पारस्परिक सहमति और महिलाओं के अधिकारों के कुछ प्रमाण भी मिलते हैं। पश्चिमीकरण और पित्रसत्तात्मक समाज
कालक्रम में समाज में पित्रसत्तात्मक व्यवस्थाओं का उदय हुआ। धार्मिक एवं सामाजिक मान्⁰यताओं के चलते, महिलाओं के अधिकार सीमित हो गए।
विवाह, संपत्ति और सामाजिक मान्यताओं में कड़े नियम बनाए गए, जिनके कारण महिलाओं पर सामाजिक पाबंदियाँ बढ़ीं। कुछ प्रथाएँ (जैसे सती प्रथा, विधवा दहेज आदि) ने महिलाओं की स्वतंत्रता और सम्मान पर अंकुश लगाया।
सामाजिक सुधार की दिशा में परिवर्तन 19वीं और 20वीं सदी में सामाजिक सुधार आंदोलनों, जैसे रीति-रिवाजों में सुधार और शिक्षा के प्रसार के कारण महिलाओं की स्थिति में सुधार की दिशा में कदम उठाए गए। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई।आज महिलाओं की स्थिति सशक्तिकरण और भागीदारी आधुनिक समाज में महिलाएँ हर क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। राजनीति महिला नेता, सांसद, मंत्री आदि पदों पर महिलाओं की उपस्थिति बढ़ रही है। शिक्षा एवं विज्ञान विश्वविद्यालयों, शोध संस्थानों और तकनीकी क्षेत्रों में महिलाएं महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उद्योग एवं व्यवसाय: उद्यमिता के क्षेत्र में महिलाएं नई दिशा तय कर रही हैं, जिससे आर्थिक विकास में उनका योगदान महत्वपूर्ण है। कला, खेल और संस्कृति: विभिन्न रचनात्मक क्षेत्रों में भी महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है। चुनौतियाँ एवं प्रयास
हालांकि प्रगति हुई है, फिर भी लैंगिक असमानता, वेतन में अंतर, और सामाजिक पूर्वाग्रह जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। इनसे निपटने के लिए नीतिगत बदलाव, कानूनी सुधार एवं सामाजिक जागरूकता के प्रयास जारी हैं। महिला दिवस का इतिहास और महत्व महिला दिवस की शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास 20वीं सदी की शुरुआत से जुड़ा है। पहली बार 1911 में यूरोप में इसे मनाया गया था। यह दिन धीरे-धीरे वैश्विक स्तर पर महिलाओं के अधिकार, समानता और उनके संघर्षों को सम्मानित करने के लिए मनाया जाने लगा। महिला दिवस मनाने का उद्देश्य
महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान
महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में योगदान को सराहा जाता है। समानता की दिशा में जागरूकता लैंगिक भेदभाव, असमान वेतन एवं अन्य सामाजिक चुनौतियों पर ध्यान आकर्षित किया जाता है ताकि समान अवसर सुनिश्चित किएजा सके सशक्तिकरण एवं अधिकार यह दिन महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है।
प्राचीन काल में, विशेषकर वैदिक समय में, महिलाओं को कुछ हद तक स्वतंत्रता और सम्मान प्राप्त था, लेकिन सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं के चलते बाद में उनके अधिकार सीमित हो गए। आधुनिक युग में, निरंतर सामाजिक सुधारों और नीतिगत बदलावों के चलते महिलाएँ हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस इस संघर्ष और उपलब्धियों का प्रतीक है, जो हमें याद दिलाता है कि लैंगिक समानता की दिशा में अभी और भी प्रयास करने की आवश्यकता है। अभिप्राय मिडिया फाउंडेशन के चेयरमैन फाउंडर अभिज्ञान आशीष मिश्रा ने कहाँ वर्तमान मे महिला शासक्ति के कारण ही देश मे महिलाये हर क्षेत्र मे अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रही है पदों पर बैडी महिलाये देश कों आगे ले जाने मे अपनी भूमिका निभा रही है आज अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस पर देश की सभी महिलाओ कों बधाई दी और इस तरह देश कों और आगे बढ़ा ने की और तरक्की के लिये शुभकामनायें दी.
Abhigyan Ashish Mishra
Founder & Chairman